अंतरिक्ष में कहां से आ रही हैं रहस्यमय ‘रोशनी’, इसरो(ISRO) का यह मिशन(XPoSat) खोलेगा राज ?

XPosat :- इसरो का यह नया मिशन खोलेगा अंतरिक्ष के अनसुलझे रहस्य । चंद्रयान 3 ने दुनिया भर में भारत का लोहा मनवाया, अब इसरो एक ओर मिशन पर है, जो 1 जनवरी 2024 को लॉन्च होगा। आदित्य-LI की सफल लॉन्चिंग के बाद Gaganyaan की टेस्टिंग भी सफल रही. अब इसरो XPOSAT मिशन लॉन्च करेगा.

यदि आप भी इस पूरे मामले को विस्तार में जानना चाहते हैं, तो इस आर्टिकल के अंत तक बन रहे तो चलिए बिना किसी देरी के आज के इस आर्टिकल को शुरू करते है।

ExPosat

क्या है नया मिशन :-   भारत का इसरो (ISRO) 1 जनवरी 2024 को देश का पहला पोलरिमेट्री मिशन(X-ray Polarimetry Satellite – EPOSAT) लॉन्च करने वाला है। यह लॉन्चिंग सतीश धवन स्पेस सेंटर श्रीहरिकोटा से सुबह 9:10 बजे होगी। इसमें PSLV-C58 के साथ एक्स-रे पोलरिमेट्री सैटेलाइट (XPoSat) को भेजा जाएगा। यह सैटेलाइट एक्स किरणों का डेटा कलेक्ट करके ब्लैक होल और न्यूट्रॉन तारों की स्टडी करेगा।

XPoSat

आपको मालूम होगा कि  XPoSat, आदित्य L1 और एस्ट्रोसैट के बाद अंतरिक्ष में स्थापित होने वाली तीसरी ऑब्जर्वेटरी होगी। यह भारत का पहला और 2021 में लॉन्च नासा के इमेजिंग एक्स-रे पोलरिमेट्री एक्सप्लोरर (IXPE) के बाद दुनिया का दूसरा पोलरिमेट्री मिशन भी है। 5 साल तक 50 सबसे चमकीले तारों की स्टडी करेगा ।

अभी तक कि जानकारी के अनुसार XPoSat का लक्ष्य ब्रह्मांड के 50 सबसे चमकीले तारों की स्टडी करना है। इनमें पल्सर, ब्लैक – होल एक्स-रे बायनरिज, एक्टिव गैलेक्टिक न्यूक्लि, न्यूट्रॉन स्टार्स और नॉन-थर्मल सुपरनोवा के बचे हुए हिस्से शामिल हैं। इस सैटेलाइट को 500-700 किमी की पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। जहां रहकर यह 5 साल तक जानकारी इकट्ठा करेगा।

XPoSat

एक्सपोसैट का प्राथमिक पेलोड POLIX (पोलरिमीटर इंस्ट्रूमेंट इन एक्स-रेज) अंतरिक्ष में इसके 8-30 keV फोटॉनों की मीडियम एक्स-रे एनर्जी रेंज में पोलराइजेशन की डिग्री और एंगल को मापेगा।

जबकि सप्लिमेंट्री पेलोड XSPECT (एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोपी एंड टाइमिंग) 0.8-15 keV की एनर्जी रेंज में स्पेक्ट्रोस्कोपिक जानकारी प्रदान करेगा। keV एक्स-रेज को मापने की यूनिट है, जिसे किलो इलेक्ट्रॉन वोल्ट कहा जाता है।

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